सही जीवनशैली न होने और तनाव में रहने के कारण ज्यादातर लोग सर दर्द से परेशान रहते है. इसके अलावा ज्यादा देर तक लैपटॉप या मोबाइल इस्तेमाल करने के कारण भी सिरदर्द होना एक आम बात है. जिसके कारण कई बार दवाइयों का सेवन करना पड़ता है. ज्यादा दवाइयों का सेवन करने के कारण भी हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है.
कभी-कभी ज्यादा थकान लगने के कारण भी सिर दर्द होने लगता है जो की आम बात है लेकिन अगर ये समस्या लगातार बनी रहती है तो इसका इलाज करना जरुरी है. योग आपको सर दर्द की समस्या से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकता है. योग करने के कई फ़ायदे है. योग हमें स्वस्थ रखने में मदद करता है, इसके अलावा ये कई बीमारियों से भी बचाता है.

सिर दर्द के लिए योग | Yoga for Headache in Hindi
सिर दर्द के योग शीतली प्राणायाम – शीतली प्राणायाम की मदद से सर दर्द से आराम मितला है. साथ ही साथ ये तनाव दूर कर दिमाग शांत करने में मददगार है. इसको करने के लिए सबसे पहले जमीन पर सुखासन की स्तिथि में बैठे. फिर आप अपनी जीभ को बाहर निकाले और मुंह से गहरी सांस ले फिर अपना मुँह बंद करे और नाक के रास्ते सांस छोड़े. इसको आप दस से बारह बार करे.
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एकपाद शीर्षासन – सबसे पहले जमीन पर चटाई या कम्बल बिछाकर पंजों पर बैठे. उसके बाद अपने सिर के नीचे तकिया रख ले और सिर को झुकाकर जमीन से सटा ले. उसके बाद दोनों हाथों को कोहनियों से मोड़कर सिर के दोनों ओर जमीन पर रखें. फिर अपने हाथों के बल स्थिर होकर पैर ऊपर करके सीधे हो जाये. अब लेफ्ट वाले पैर को घुटने से मोड़कर राइट वाले पैर की जांघ से मिला दे.
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अनुलोम विलोम प्राणायाम – इसके बारे में ज्यादातर लोगो ने पहले भी सुना होगा और ये करने में भी काफी आसान है. हर कोई इसे कर सकता है. गैस के कारण होने वाले सिरदर्द में अनुलोम विलोम आपकी मदद कर सकता है. इसे करने के लिए सबसे पहले पद्मासन में बैठें. पहले नाक का दाया नथुना बंद करें व बायें से लंबी सांस लें. फिर बायें को बंद करके, दाएं वाले से लंबी सांस छोडें. अब दाएं वाले से लंबी सांस लें व बायें वाले से उसे छोडें. शुरुआत और अंत भी हमेशा बायें नथुने से ही करनी है.
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हलासन – सबसे पहले लेट जाये. लेटने के बाद दोनों एड़ी और पंजों को आपस में मिला ले. अब आपने अपनी टांगो को धीरे-धीरे ऊपर उठाना है और सांस बाहर निकालते हुए सर की तरफ लाना है. फिर पंजों को जमीन से टिका ले और पूर्व अवस्था में आ जाये.
शशांकासन – इसे करने के लिए सबसे पहले बैठकर दोनों एड़ीं पंजे आपस में मिला लें. फिर हथेलियों को दाईं ओर रखें और पंजो को तान लें. घुटनों को टांगों से मोड़ते हुए वज्रासन की स्थिति में आ जाएं. फिर दोनों घुटनों को दोनों ओर फैला दें तथा दोनों हथेलियों को दोनों घुटनों के मध्य जमीन पर टिका दें. सांस बाहर करते हुए कमर के निचले हिस्से से धीरे-धीरे झुकते जाएं ऐसा करते हुए हथेलियों को आगे खिसकाते रहें. अपनी ठोड़ी को धरती से लगा लें. अब उल्टी क्रिया करते हुए धीरे-धीरे पूर्वावस्था में आ जाएं.